स्वांस प्राण आधार माँ जग जननी, सकल जगत आधार माँ। स्वांस प्राण आधार माँ जग जननी, सकल जगत आधार माँ।
मैं यूँ ही नहीं आता जाता गुनगुनाता इठलाता हँसता और हंसाता हूँ ! मैं यूँ ही नहीं आता जाता गुनगुनाता इठलाता हँसता और हंसाता हूँ !
मई-जून में आंख दिखाएं घर आंगन में बसती धूप। मई-जून में आंख दिखाएं घर आंगन में बसती धूप।
कोई इसपे मरता है कोई उसपे मरता है सबकी ऐसी की तैसी। कोई इसपे मरता है कोई उसपे मरता है सबकी ऐसी की तैसी।
अरे वो तो अशुअंचल है देख सको तो देखे कविता रो रही है। अरे वो तो अशुअंचल है देख सको तो देखे कविता रो रही है।
संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी। संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी।